Trimbakeshwar Mandir Puja

Narayan Nagbali Puja

This is the most important vidhi done in the name of ancestors for their souls to get free from this world and attain the highest state of liberation from this cycle of human birth and death.


Narayan Nagbali consists of two different rituals. Narayan Bali is done to get rid of ancestral curse (pitru dosh /Pitru Shaap) while Nag bali is done to get rid of sin performed by killing the snake, especially Cobra which is worshipped in India. It can be performed only at Trimbakeshwar.


Narayan Nagbali Pooja is performed for problems like bad patches in Business, Waste of Money, Family health problems, Educational hindrances, and hurdles in getting married. It is also performed to get rid of problems that occur due to curses from father, mother, brother, corpse, wife and small churn-staff. ( Pitru shap, Pratashap, Matrushap, Bhatrushap, Patnishap, matulshap).


Narayan Nagbali Pooja is performed for 3 days. Narayan nagbali pooja can be performed by a married couple, can perform this pooja to get rid of the above-mentioned problems and lead a better life.

नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा , कामना पूर्ण करने के उद्देश से किय जाते है इसीलिए ये दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि और नागबपलि ये अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत: पितृदोष निवारण करना है । और नागबलि का उद्देश सर्प/साप/नाग हत्याह का दोष निवारण करना है। केवल नारायण बलि यां नागबलि कर नहीं सकतें, इसगलिए ये दोनो विधीयां एकसाथ ही करनी पडती हैं।


पितृदोष निवारण के लिए नारायण नागबलि कर्म करने के लिये शास्त्रों मे निर्देशित किया गया है । प्राय: यह कर्म जातक के दुर्भाग्य संबधी दोषों से मुक्ति दिलाने के लिए किये जाते है। ये कर्म किस प्रकार व कौन इन्हें कर सकता है, इसकी पूर्ण जानकारी होना अति आवश्‍यक है। ये कर्म जिन जातकों के माता पिता जिवित हैं वे भी ये कर्म विधिवत सम्पन्न कर सकते है। यज्ञोपवीत धारण करने के बाद कुंवारा ब्राह्मण यह कर्म सम्पन्न करा सकता है। संतान प्राप्‍ती एवं वंशवृध्दि के लिए ये कर्म सपत्‍नीक करने चाहीए। यदि पत्‍नी जीवित न हो तो कुल के उध्‍दार के लिए पत्‍नी के बिना भी ये कर्म किये जा सकते है । यदि पत्‍नी गर्भवती हो तो गर्भ धारण से पाचवे महीनेतक यह कर्म किया जा सकता है। घर मे कोई भी मांगलिक कार्य हो तो ये कर्म एक साल तक नही किये जाते है । माता या पिता की मृत्यु् होने पर भी एक साल तक ये कर्म करने निषिध्द माने गये है।